लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 20
मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 20 )
अब तक के भागौ में आपने पढ़ा कि तान्या विशाल प्रेम विवाह करते हैं। उनके एक बेटी जन्म लेलेती है। बेटी का नाम रमला रखते हैं। रमला बचपन से ही जिद्दी होजाती है। तान्या अपने मम्मी पापा की आत्महत्या की खबर से बहुत परेशान होजाती है। और उसकी ट्यूमर की बीमारी से मौत होजाती है।
इसके बाद विशाल एक सारिका नामकी औरत से शादी कर लेता है। सारिका की एक सहेली सलौनी रमला की सुन्दरता को देखकर सारिका jको एक अजीव लालच देती है और वह एक विक्रम नाम के लड़के से रमला को झूठे प्यार में फसवाती हैं। जिससे रमला को ब्लैकमेल करवाने का कुछ सबूत मिल जाय। आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए।
विक्रम ने उस समय तो रमला का दिल रखने के लिए कह दिया था कि वह जल्दी ही उसे अपने मम्मी पापा से मिलवाने की कोशिश करेगा।
परन्तु वह अपने पापा की आदत को जानता था कि वह लव मैरिज के अगैन्स्ट थे क्यौकि एक बार उनके परिवार में ही विक्रम के ताऊजी के लड़के ने लव मैरिज करने की कोशिश की थी तब उसके ताऊजी व पापा ने उसकी ऐसी क्लास ली थी कि वह प्यार करना ही भूल गया था।
उस घटना के बाद विक्रम के घर परिवार में लव मैरिज की कोई सोचने की बात नहीं करता था। इसीलिए विक्रम बहुत डर रहा था। उसे एक डर और था कि जब उसके परिवार वाले रमला के मम्मी पापा की हिस्ट्री का पता चलेगा तब वह किसी भी तरह इस शादी की इजाजत नही देंगे।
विक्रम तो सलौनी भाभी के उस दिन के दीदार की बदौलत ही यहाँ तक पहुँच गया है। पहले तो अकेली सलौनी ही ब्लैकमेल करती थी अब सलौनी व सारिका दोंनौ मिलकर उसका इतिहास बदलने को तैयार हो जाती है।
सलौनी का पति तो पहले ही आवारा किस्म का आदमी था। वह कुछ कमाता भी नहीं था। सलौनी ही इधर उधर हाथ मारकर घर का खर्चा चलाती थी। इस लिए उसने सलौनी को कभी पूछने का साहस ही नही किया कि तू क्या करती है कहाँ जाती है।
सलौनी को एक और सुख ईश्वर ने दे दिया था कि वह माँ तो बन ही नही सकती थी।क्यौकि उसके साथ बचपन में ही एक बलात्कार का हादसा हो गया था तभी से वह माँ नही बन सकी थी।
इसी लिए वह निर्भय होकर कुछ भी करती थी ।
जिसके पीछे एक नही दो दो जिन्दा चुडै़ल पड़ जाय उसका तो ईश्वर भी भला नहीं सोच सकता है। विक्रम अब अपने को बहुत बुरी तरह फसा हुआ देखकर यहाँ से कहीं दूर भागना चाहता था।
विक्रम अब मस्ती करना भूल गया था। अब उस पर वही कहावत फिट हो चुकी थी कि " धोबी का कुत्ता घर का न घाट का।"
विक्रम एक दो दिन तक रमला से मिला ही नहीं। क्यौकि वह जब मम्मी पापा से मिलने की जिद करेगी तब वह उसे कैसे समझा सकेगा।
जब विक्रम ने दो दिन तक रमला को कोई फौन नही किया तब रमला ने ही उसे फौन किया।
रमला=" हेल्लो विक्रम ! कहाँ है ?क्या बात दो दिन से तूने कोई बात ही नही की। क्या हुआ ?"
विक्रम= "हेल्लो रमला मै किसी जरूरी काम में फस गया था इस लिए तुमसे बात नहीं कर सका था। बैसे भी साथ में पापा थे इस लिए समय नहीं मिल सका।"
रमला=" तुम अपने पापा से मुझे कब मिलबा रहे है। देखो विक्रम अब तुम अपने पापा से बात करलो और मुझे उनसे मिलवाने की कोशिश करो। "
विक्रम=" देखो रमला मैं इस बिषय में उचित समय पर पापा से बात करूँगा।और तुम्है मिलवाने की कोशिश भी करूँगा।"
रमला= " ठीक है विक्रम मुझे अब डर लगने लगा है।मैने आज तक किसी से प्यार नही किया था। तुम ही मेरे जीवन में पहले एसे पुरुष हो जिसने मुझे इतने खुले शब्दौ मे इजहार किया था। अब पीछे मत हटना। ,"
विक्रम रमला की बातै सुनकर भावुक होगया।वह सोचने लगा अब मुझे रमला को साफ बता देना चाहिए कि मुझे तो तुम्हारे खिलाफ इसातै माल किया जारहा है। क्यौकि किसीके दिल से खेलना अच्छी बात नहीं है।
दूसरा पहलूं याद आते ही उसके दिल से आवाज आती विक्रम यह दुनिया है। यहाँ सब अपना भला सोचते है। दूसरे का भला कोई नही सोचता है। तू भी अपना बचाव कर ।
यह दुनिया मतलब की है। अपना मतलब निकल जाने के बाद सब छोड़ जाते है। यदि तू रमला को सब कुछ बता देगा तब ये दौनौ औरतै तेरा जीना मुश्किल कर दैगी। उनके पास तेरा वीडियो है। वह दोंनौ तुझे जीने नहीं देगी। ऐसी कौनसी मनहूस घडी़ आई थी कि मै इन दौनौ के चक्रब्यूह में फस गया।
विक्रम का दिमाग बहुत परेशान था उधर तो सलौनी व सारिका का डर था तब दूसरी और रमला उससे मम्मी पापा से मिलवाने की जिद पकड़ चुकी थी। वह अब स्वयं को इन तीनौ औरतौ के बीच फसा हुआ पारहा था।
उसके दिमाग ने जब काम करना बन्द कर दिया तब वह सलौनी के पास जाकर सलाह लेने की सोचने लगा।
जब वह सलौनी के पास गया ।जब सलौनी को उसने रमला की जिद के बिषय में बताया और अपने परिवार की कहानी भी समझाई ।और सलौनी को यह भी बताया कि वह अपने घरवालौ से रमला को कैसे मिलवा सकता है।
सलौनी उसको समझाते हुए बोली," हर बात को लेकर इस तरह परेशान हौने से काम नहीं चलता है। हर समस्या का हल होता है। लेकिन उसके लिए खुद का दिमाग जब काम न करे तो किसी दूसरे की सलाह भी लेनी चाहिए।"
उसकी बात सुनकर विक्रम बोला," इसका क्या उपाय करोगी। मुझे तो कुछ समझ में नहीं आया है। मै तो यह सोचकर परेशान हूँ कि वह हर बात पर जिद कर लेती है।"
सलौनी ने उसे समझाया," तुम यह सब हम पर छोडो़ । समय आने पर सब होजायेगा। अपने घर जाओ और आराम करो।"
" क्रमशः" आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए।
कहानीकार प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी"
RISHITA
02-Sep-2023 09:47 AM
Amazing
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madhura
01-Sep-2023 10:47 AM
Nice
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Anjali korde
29-Aug-2023 11:06 AM
Nice
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